Monday, August 8, 2016

कविता " यूँ ही "

****** यूँ ही ******
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""यूँ ही, बस यूँ ही, तुम मुस्कुराते रहो,
हम तुम्हें देखकर जी लेंगे...
वादा करो यूँ हंसने का तुम,
तुम्हारे आंसू अपनी पलकों पर ले लेंगे..

प्यार न करोगे गर मुझसे तो,
तुम्हारी नफरत को माथे से लगा लेंगे..
जो साथ बिताए थे उन लम्हों को,
हम अपने सीने में ही छिपा लेंगे....

धीरे धीरे ये उम्र गुजर जाएगी भी तो क्या,
हम अपनी जिन्दगी को एक याद बना लेंगे
तुम्हारी याद जब जब मुझे तड़पाएगी,
हम उसे जीने का सहारा बना लेंगे..

तेरी यादों को दिल में छिपाकर अपने,
दिल ही  दिल में तुम्हें अपना बना लेंगे,
वादा करो यूँ हंसने का तुम,
तुम्हारे आंसू अपनी पलकों पर सजा लेंगे...
                          अल्का श्रीवास्तव
                          

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